जानिये क्यों होती है सबसे पहले गणेश जी की पूजा, क्या है पौराणिक कथा?

जानिये क्यों होती है सबसे पहले गणेश जी की पूजा, क्या है पौराणिक कथा?

क्या आप जानते हैं कि आखिर गणेश भगवान कौन है और इनके धड़ पर हाथी का सिर क्यों लगा है? खैर इसके लिए आपको के पौराणिक कहानी के बारे में जानना होगा। आइये जानते हैं कि आखिर गणेश जी कौन है और गणेश जी की पूजा क्यों और कैसे की जाती है।
Ugadi Festival: Celebration Of New Beginnings Reading जानिये क्यों होती है सबसे पहले गणेश जी की पूजा, क्या है पौराणिक कथा? 9 minutes Next Maha Shivrathri 2023: Historical Significance

भगवान श्री गणेश जी हिंदुओं के एक बहुत लोकप्रिय देवता है। परंपरागत रूप से, माना जाता है कि किसी भीअनुष्ठान, पूजा या समारोह की शुरुआत करने से पहले गणेश जी की पूजा की पूजा होना अति आवश्यक होता है। सरल शब्दों में कहें तो हर अच्छी चीज़ की शुरुआत से पहले मंत्रों के साथ श्री गणेश जी का आह्वान करना शुभ होता है। इसलिए भगवान गणेश को शुभता का प्रतीक माना जाता है। किन्तु क्या आप जानते हैं कि आखिर गणेश भगवान कौन है और इनके धड़ पर हाथी का सिर क्यों लगा है? खैर इसके लिए आपको के पौराणिक कहानी के बारे में जानना होगा। आइये जानते हैं कि आखिर गणेश जी कौन है और गणेश जी की पूजा क्यों और कैसे की जाती है।

गणेश जी कौन है?

गणेश जी के जन्म की एक लोकप्रिय कथा देवी पार्वती से जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि पुत्र की लालसा में माता पार्वती ने एक बार मिट्टी और घी से एक बच्चा बनाया और उसमे प्राण डाल दिए। इस दौरान भगवान शिव कैलाश पर्वत पर ध्यान पर लीन थे। एक दिन, माता पार्वती अपने बेटे को पहरा देने के लिए कहकर खुद स्नान करने जाती हैं। जब वह स्नान कर रही थी, तो उसी बीच भगवान शिव लौट आए। जब वह माता पार्वती से मिलने के लिए जाने लगे तो रास्ते द्वार के बाहर अपनी माता के आदेश का पालन कर रहे गणेश ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया।

जिससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने गणेश का सिर धड़ से अगल कर दिया। जैसे ही माता पार्वती को इसका पता चला तो वह बेहद क्रोधित हो गई। जिसे देखकर भगवान शिव ने माता को गणेश को पुनः जीवित करने का आश्वासन दिया। भगवान शिव ने एक हाथी की खोज की और फिर उसके सिर को गणेश के धड़ पर लगा दिया। इसके बाद भगवान शिव सहित समस्त देवताओं ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि गणेश जी की पूजा करने से भक्तों के विघन दूर होंगे और किसी भी शुभ कार्य से पूर्व यदि उनकी पूजा होगी तो वह अपने कार्य में आपार सफलता हासिल करेगा।

सबसे पहले क्यों होती है गणेश जी की पूजा

एक पैराणिक कहानी के अनुसार एक बार भगवान श्री गणेश और उनके बड़े भाई भगवान कार्तिकेय या मुरुगन के बीच दौड़ का मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में भगवान शिव ने दो पुत्रों को ब्रह्मांड के चारों ओर घूम कर इसकी तीन परिक्रमाएँ पूरी करने के लिए कहा। जो इसे सबसे पहले पूरा करेगा वह विजेता घोषित होगा और उसे परम पूजनीय देवता का अधिकार भी दिया जाएगा। जैसे ही मुकाबले की शुरूआत हुई, भगवान कार्तिकेय अपने वाहन- मोर पर बैठे और तीव्र गति से अपनी यात्रा पर निकल गए। वहीं दूसरी ओर भगवान गणेश अपने माता-पिता के चारों ओर घूमने लगे। जब भगवान शिव और देवी पार्वती ने उनसे इसका कारण पूछा, तो गणेश ने उत्तर दिया कि उनके लिए, उनके माता-पिता का महत्व ब्रह्मांड के अस्तित्व के बराबर है। भगवान गणेश की पवित्र भावनाओं से प्रभावित होकर उन्हें विजेता घोषित किया गया और तब से किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।

दिवाली पर गणेश पूजा की तैयारी कैसे करें?

दिवाली के दौरान गणेश पूजा हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। भगवान गणेश, बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं, जोकि हमारे जीवन से सभी बाधाओं को दूर करते हैं और हमें सफलता एवं खुशी प्रदान करते हैं। दिवाली 2023 के दौरान आप घर पर गणेश जी की पूजा कैसे करें और उसकी विधि क्या है आइये जानते हैं।

गणेश पूजा की सामग्रीः

गणेशजी की मूर्ति, लक्ष्मी जी की मूर्ति, मां सरस्वती की तस्वीर, चांदी का का सिक्का, फूल, गुलाब एवं लाल कमल, चंदन, सिंदूर, कुमकुम, केसर,पांच यज्ञोपवीत, चावल, अबीर, गुलाल, हल्दी, सोलह श्रृंगार का सामान (चूड़ी, मेहंदी, पायल, बिछिया, काजल, बिंदी, कंघा)

5 सुपारी, 5 पान के पत्ते, छोटी इलायची, लौंग, मौली या कलावा, फूलों की माला, तुलसी दल, कमलगट्टे, साबुत धनिया, कुशा और दूर्वा, आधा मीटर सफेद कपड़ा, आधा मीटर लाल कपड़ा, दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, नारियल, पंच मेवा (मखाना, किशमिश, छुहारा, बादाम, काजू आदि) गंगाजल, पंचामृत (शहद, दूध, शक्कर, दही, गंगाजल, दूध)

शुद्ध घी, मौसम के हिसाब से फल ( गन्ना, सिंघाड़े आदि), नैवेद्य, मिठाई, इत्र की शीशी, लकड़ी की चौकी, पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), लक्ष्मीजी और गणेश जी को अर्पित करने के लिए वस्त्र, जल कलश तांबे , मिट्टी या पीतल का बही-खाता, स्याही की दवात, हल्दी की गांठ, खील-बताशे, कपूर, जल के लिए लोटा, बैठने के लिए आसन, आम का पत्ता

गणेश पूजा की विधिः­

स्वच्छता और शुद्धिकरण प्रक्रिया: सुबह जल्दी उठें, आस-पास और उस स्थान को साफ करें जहां पूजा की जानी है। साथ ही घर को शुद्ध करने के लिए गंगाजल छिड़कें।

एक बार सफाई प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, स्नान करें और आत्म-शुद्धि या आत्मशोधन प्रक्रिया पूरी करें। सूर्योदय से पहले किया गया शुभ स्नान व्यक्ति के शरीर को शुद्ध करता है। पूजा विधि को पूरी निष्ठा से करने का वादा करते हुए आपको मुट्ठी में पानी लेकर संकल्प करना होगा।

पांच देवताओं की पूजा करें: पूजा विधि शुरू करने से ठीक पहले भगवान गणेश की पूजा करें। गणपति बप्पा को "विघ्नहर्ता" के रूप में भी जाना जाता है, कहा जाता है कि वे बाधाओं को दूर करते हैं। सभी देवताओं के कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर की पूजा करने से समृद्धि, सौभाग्य और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन देवी लक्ष्मी के तीन प्रसिद्ध रूपों की पूजा की जाती है। माँ महासरस्वती; विद्या और पुस्तकों की देवी को ज्ञान और अन्य संगीत कौशल प्राप्त करने के लिए सम्मानित किया जाता है। 'धन और पैसे की देवी'- महालक्ष्मी की पूजा खुशी और साहस के लिए की जाती है। पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करने पर देवी महाकाली आपको अपनी आकांक्षाओं और सपनों को प्राप्त करने में मदद करती हैं।

दीये जलाएं और मंत्र का जाप करें: प्रकाश की चमक अंधकार को दूर कर सकारात्मकता फैलाती है। इसलिए, घी से भरे दीये या मिट्टी के दीपक को उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए। सबसे पहले, पूजा कक्ष में दीया जलाएं, फिर तुलसी वृन्दावन में और बाद में जल के पात्र में। यहां, दीये में बाती 'आत्मा' या 'आत्मा' का प्रतीक है, जबकि गाय के दूध से बना घी नकारात्मकता को दूर करने वाला माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह घी हवा में मजबूत दिव्य या सात्विक कणों का उत्सर्जन करता है और आपके घर को खुशियों से भर देता है। एक बार हो जाने पर, अपने हाथ जोड़ें और शांति पाठ मंत्र का जाप करें। यह मंत्र आमतौर पर पूजा विधि की शुरुआत और अंत में पढ़ा जाता है।

गणेश जी की पूजा मंत्र

“ॐ द्यौः शान्ति रन्तरिक्षम् शान्तिः

पृथ्वी शांतिरापः शांतिः

ओषधयः शान्तिः वनस्पतयः शान्तिः

विश्वेदेवः शांतिः ब्रह्म शांतिः

सर्वं शांतिः शांतिरेव शांतिः

समां शांतिरेधिः

ओम शांतिः, शांतिः, शांतिः”

चौकी स्थापित करें: अब एक वेदी या चौकी की स्थापना करें, जहां पूजा की जानी है। लाल पवित्रता, प्रेम और शक्ति का रंग है, इसलिए आपको चौकी पर एक मुलायम लाल कपड़ा रखना होगा। फिर ध्यान से भगवान गणेश की मूर्ति के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति और माँ सरस्वती की मूर्ति रखें।

कलश स्थापना: कलश स्थापित करने से ठीक पहले चौकी के बीच में चावल के दानों की एक ढेरी बिछा दें, जो एक आसन की तरह काम करती है। कलश और मूर्तियों पर हल्दी-कुमकुम लगाएं। चांदी या पीतल के कलश में जल, सुपारी, सिक्के, अक्षत चावल, गेंदे के फूल, चुटकी भर हल्दी-कुमकुम भरें और उसके मुंह को आम के पत्तों और एक नारियल से ढक दें।

पूजा के साथ देवताओं का आह्वान करें: बताए गए मुहूर्त पर गणपति पूजा के बाद मां लक्ष्मी, काली, भगवान कुबेर और भगवान विष्णु की पूजा करें। हाथ जोड़कर और आंखें बंद करके प्रार्थना करें। कीमती वस्तुएँ जैसे सोना, किताबें, धन की वस्तुएँ आदि, माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर का प्रतीक शुभ वस्तुएँ मानी जाती हैं। इसलिए पूजा के दौरान आप चाँदी का सिक्का और सोने के आभूषण पूजा स्थल पर रख सकते हैं।

विनम्र प्रस्ताव: देवताओं से प्रार्थना की शुरुआत पड्या से करें, पड्या यानि, जहां आपको भगवान को पानी की एक या दो बूंदें अर्पित करनी होती हैं। दूसरा चरण अर्घ्य है, यानि भगवान को जल अर्पित करना, उसके बाद आचमन होता है, यानि भगवान को जल अर्पित करने के बाद अब आपको अपनी हथेली से पानी पीना होता है। यदि आप पूजा में धातु से बनी मूर्तियां रख रहे हैं तो आप जल चढ़ाकर उन्हें स्नान करवा सकते हैं। इसे स्नान प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है। इसके अंतर्गत एक बार पंचामृत (घी, दूध, शहद, चीनी, दही) चढ़ाने के बाद, मूर्तियों को पानी से साफ किया जाता है और एक साफ कपड़े से पोंछा जाता है।

पूजा मंत्र: जब पूजा शुरू होती है और आगे बढ़ती है, तो पूजा से निकलने वाली सकारात्मत ऊर्जा को फैलाने के लिए कुछ शुभ और पारंपरिक मंत्रों का जाप किया जाता है और कहा जाता है कि यह मंत्र पूजा के प्रभाव को बढ़ाते हैं। तीन प्रमुख मंत्रों में शामिल हैं

देवी लक्ष्मी मंत्र:

लक्ष्मी बीज मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः।

महालक्ष्मी मंत्र:

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद

प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मये नमः

लक्ष्मी गायत्री मंत्र:

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्नीयै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ

ये वे मंत्र हैं जो पूजा करते समय देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की स्तुति करते हैं और आमतौर पर दिवाली के शुभ घंटों के दौरान पारंपरिक लक्ष्मी गणेश पूजा करते समय इनका जाप किया जाता है। आप भी पूजा के दौरान इनका जाप करें और अपने घर एवं परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना करें। आशा करते हैं कि इस लेख के माध्यम से आपको दिवाली पर गणेश जी की पूजा से संबंधित आवश्यक जानकारी हासिल हुई होगी।