भगवान श्री गणेश दुनिया भर में हिंदू धर्म के सबसे अधिक प्रिय और पूजनीय देवताओं में से एक माने जाते हैं। यूं तो देशभर के मंदिरों में भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना हर दिन की जाती है, किन्तु उनकी जयंती का उत्सव देश भर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्री गणेश जी की जयंती को देश भर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि गणेश चतुर्थी, विनायक चविथि, विनायक चतुर्थी इत्यादि।
वैसे तो गणेश चतुर्थी का उत्सव समस्त भारत मनाता है, मगर महाराष्ट्र में इस उत्सव का जश्न अलग ही स्तर का रहता है। यह कहना गलत नही होगा कि गणेश चतुर्थी को महाराष्ट्र में दीवाली से भी अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। 10 दिन तक चलने वाले इस त्यौहार की शुरूआत इस वर्ष 19 सितंबर को होगी और इसका समापन 28 सिंतबर को मूर्ति विसर्जन के साथ होगा। आइये इस लेख के माध्यम से गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना से जुड़े कुछ अहम नियमों और जानकारी के बारे में जानते हैं।
गणेश जी की मूर्ति स्थापना कब है?
जैसा कि ऊपर बताया गया है, गणेश चतुर्थी 2023 की शुरूआत 19 सितंबर को होगी। गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना के लिए उत्तम मुहूर्त सुबह 11:01 से लेकर दोपहर 1:34 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त के भीतर आप विधि पूर्वक बप्पा की मूर्ति को अपने घर में स्थापित कर सकते हैं।
गणेश मूर्ति स्थापना वास्तु नियम
गणेश मूर्ति स्थापना से पूर्व आपके लिए गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना के नियम जानना अत्यधिक जरूरी है। जैसे कि जिस मुर्ति को आप स्थापित करने वाले हैं, उसकी सूंड किस दिशा में होनी चाहिए। इसके पीछे की मान्यता क्या है। इसके अलावा गणेश जी की मूर्ति को किस दिशा में स्थापित करना अधिक शुभदायक होता है इत्यादि। तो आइये वास्तु के मुताबिक जानते हैं कि गणेश मूर्ति स्थापना का सही तरीका और दिशा क्या होती है।
गणेश जी की स्थापना घर पर कैसे और किस दिशा में करें?
वास्तु विशेषज्ञ कहते हैं कि आपके घर में गणपति जी की मूर्ति को स्थापित करने के लिए पश्चिम, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशाएं उत्तम रहती हैं। कोशिश करें कि मूर्ति का चेहरा उत्तर दिशा की ओर हो, क्योंकि यहीं पर भगवान शिव निवास करते हैं और यह दिशा बहुत शुभ मानी जाती है। इसके अतिरिक्त, सुनिश्चित करें कि गणेश जी की मूर्ति का पिछला भाग घर के मुख्य प्रवेश/निकास द्वार की ओर हो। मूर्ति को स्थापित करते समय, दक्षिण दिशा से दूरी बनाएं रखें क्योंकि यह दिशा इसके लिए अनुकूल नहीं मानी जाती है।
गणेश जी की स्थापना करने के लिए क्या क्या सामग्री चाहिए?
गणेश जी की मूर्ति को विधिवत रूप से स्थापित करने के लिए आपको पहले उनकी पूजा करनी होगी, जिसके लिए आपको कुछ खास सामग्री की आवश्यकता होगी। सामग्री के तौर पर श्री गणेश की एक प्रतिमा, पूजा के लिए चौकी, एक लाल कपड़ा, जल कलश, रोली, पंचामृत, कलावा, अक्षत, जनेऊ, गंगाजल, इलायची-लौंग, चांदी का वर्क, सुपारी, पंचमेवा, नारियल, और घी-कपूर की आवश्यकता पड़ेगी। ध्यान रखें कि पूजा के दौरान गणेश जी को तुलसी दल या फिर तुलसी पत्र अर्पित न करें। इसके बजाय आप एक साफ स्थल से तोड़ी हुई दूर्वा घास उन्हें अर्पित कर सकते हैं।
गणेश मूर्ति स्थापना विधि
- गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना मुहूर्त के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
- अब एक साफ स्थान या पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर बैठकर चौकी रखें और उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा दें
- एक थाली लें और उस पर चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं
- थाली में बनाएं इसी स्वास्तिक के निशान के ऊपर भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें
- अब मूर्ति के दोनों तरफ गणेश जी की पत्नियों रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक के तौर पर सुपारी रख दें
- गणेश जी के दाएं तरफ मिट्टी या तांबा या फिर पीतल के कलश में जल भर कर रख दें और उस पर आम का पता लगाकर नारियल रखें
- हाथ में अक्षत रखकर गणेश जी का मनन करें और फिर अक्षत गणेश जी के चरणों में डाल दें
- अब गणेश जी को पुष्प माला, दूर्वा घास, हल्दी, मौली, चंदन, नारियल इत्यादि सामग्री अर्पित करें
- गणेश जी को भोग लगाने के लिए आप मोदक या फिर लड्डू ले सकते हैं
- आरती के लिए घी का दीपक और धूप जलाकर दिए गए मन्त्रों का जाप करें
“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव: सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
- गणेश चालीसा का जाप करें और अंत में आरती करें
गणेश जी की मूर्ति में सूंड किधर होनी चाहिए?
वास्तु के अनुसार, आदर्श रूप से, गणेश जी की मूर्ति की सूंड का बाएं ओर झुका होना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह बाएं ओर झुकी सूंड खुशियों का संकेतक भी मानी जाती है। अतः मूर्ति को चुनते समय गणेश जी की सूंड की दिशा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
विपरीत स्थिति में, अगर सूंड दाहिनी ओर झुकी हो, तो उसे प्रसन्न करने में विशेष धार्मिक विधियों का पालन करना अनिवार्य होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दाहिनी ओर झुकी सूंड सूर्य की ऊर्जा का प्रतिष्ठान मानी जाती है। इसलिए, आपके लिए बेहतर होगा कि आप बाएं ओर झुकी सूंड वाली गणेश मूर्ति ही चुनें।
गणेश जी की कौन सी मूर्ति शुभ है?
गणेश चतुर्थी पर बाजार में आपको गणेश जी की अलग-अलग तरह की मूर्तियां मिलेंगी, जिनमे वह विभिन्न मुद्राओं में बैठे होंगे। किन्तु आप इस चीज का पता कैसे लगाएं कि कौन सी मूर्ति आपके लिए शुभ है। खैर आपको बता दें कि वास्तु विशेषज्ञ मानते हैं कि घर में गणेश जी की बैठी मुद्रा वाली मूर्ति रखना अधिक शुभ होता है। इस मूर्ति को ललितासन भी कहा जाता है। वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि बैठे हुए गणेश जी शांत और शीतल आचरण का प्रतिनिधित्व करते हैं और घर में शांतिपूर्ण वातावरण का प्रवाह करते हैं। हालाँकि, लेटी हुई गणपति मूर्ति विलासिता, आराम और धन का प्रतीक मानी जाती है। अत: यदि आप जीवन में इनकी इच्छा रखते हैं तो आपको लेटी हुई मुद्रा वाले गणपति स्थापित करने चाहिए।
क्या आप जानते हैं?
हम गणेश के 32 रूपों की पूजा करते हैं और वे हैं:
बाला गणेश, तरूण गणेश, भक्ति गणेश, शक्ति गणेश, वीरा गणेश, सिद्धि गणेश, द्विज गणेश, विज्ञान गणेश, उच्छिष्ट गणेश, क्षीरपा गणेश, हीरम्बा गणेश, लक्ष्मी गणेश, महा गणेश, विजय गणेश, नृत्य गणेश, उर्ध्व गणेशा, एकाक्षर गणेश, वर गणेश, थ्यक्षरा गणेश, क्षिप्रप्रसाद गणेश, हरिद्रा गणेश, एकदंत गणेश, सृष्टि गणेश, उद्धाण्ड गणेश, ऋणमोचन गणेश, ढुंडी गणेश, द्विमुख गणेश, त्रिमुख गणेश, स्मिहा गणेश, योगी गणेश, दुर्गा गणेश, संकठारा गणेश।
गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
यूं तो शुभता के प्रतीक भगवान श्री गणेश को सभी चीजे प्रिय हैं। किन्तु कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें गणेश चतुर्थी की पूजा के दौरान आपको भूल कर भी पूजा में सम्मिलित नही करना चाहिए। इन चीजों में सबसे पहला है तुलसी के पत्ते। वैसे तो तुलसी हिंदू धर्म में पूजनीय है, किन्तु भगवान गणेश को इन्हें बिल्कुल अर्पित न करें। इसके अलावा केतकी का फूल, टूटे या सूखे अक्षत भी अर्पित न करें। साथ ही सफेद चीजें चढ़ाने से भी आपको परहेज करना है। बता दें कि इन सभी चीजों को न चढ़ाने के विशेष कारण है, जिनका उल्लेख आपको पौराणिक कथाओं में मिल जाएगा।
क्या हम गणेश चतुर्थी के बाद गणेश की मूर्ति घर में रख सकते हैं?
यकीनन आपके मन में भी यह सवाल आया होगा कि क्या हम गणेश चतुर्थी के बाद भी गणेश जी की मूर्ति को अपने घर में रख सकते हैं। खैर इस सवाल का जवाब चर्चा का विषय बन सकता है, क्योंकि देश के अधिकतर क्षेत्रो में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का त्यौहार महाराष्ट्र में मनाए जाने वाले उत्सव से प्रेरित है। किन्तु देश के कई क्षेत्रों में लोग गणेश चतुर्थी के बाद भी गणेश जी की मूर्ति को पूजा घरों में रख कर उनकी पूजा करते हैं। उनका मानना है कि यदि गणेश जी को घर में स्थापित कर शुभता और सौभाग्य का आगमन होता है, तो उन्हें विसर्जित क्यों करना है। जबकि कुछ लोग मानते हैं कि गणेश चतुर्थी पर मूर्ति विसर्जन की प्रथा गणेश जी के जीवन काल से जुड़ी है, जिसमे विसर्जन के पश्चात वह पुनः जन्म लेते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
बहरहाल आशा करते हैं कि इस लेख के माध्यम से आपको गणेश चतुर्थी के महत्व और गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना से जुड़ी पर्याप्त जानकारी मिल गई होगी। हालांकि इस लेख में बताई गई पूजा सामग्री और विधि में कुछ अंतर हो सकता है। क्योंकि देश के अलग-अलग कोनो में पूजा की विधि भिन्न हो सकती है। इसलिए हम सुझाव देते हैं कि पूजा से पूर्व आप किसी विद्वान पंडित से परामर्श आवश्य करें और विधिवत रूप से इस गणेश चतुर्थी का पावन उत्सव मनाएं। हमारी मगलकामना है कि भगवान श्री गणेश आपकी हर मनोकामना पूरी करें और आपके घर परिवार में शुभता और सौभाग्य की वर्षा करें।