दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विनी महीने में कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन के आसपास इस त्योहार को मनाया जाता है। इस त्योहार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि हिंदुओं, सिखों और जैनियों द्वारा समान रूप से पूजनीय, दिवाली दुनिया भर में भारतीयों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। पांच दिनों का त्योहार दिवाली भारतीयों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना ईसाइयों के लिए क्रिसमस। आइए जानें दिवाली 2023 की तारीखें, मुहूर्त, महत्व और त्योहार से जुड़ी परंपराएं।
दिवाली 2023 कब है?
यदि आप इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि दिवाली 2023 तिथि क्या है, तो आपकी इस परेशानी को हम हल कर देते हैं। इस वर्ष दिवाली का त्योहार 12 नवंबर, दिन रविवार को है।
दिवाली क्यों मनाई जाती है
दीपावली का इतिहास कई शताब्दी पहले का है। हालाँकि, विभिन्न संस्कृतियों ने इस त्योहार के साथ अलग-अलग कहानियाँ जोड़ी हैं। किन्तु रामायण की कथा के अनुसार, यह वह दिन है जब भगवान श्री राम अपने 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। कई लोग इसे देवी लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं, जबकि कुछ लोग इसे भगवान विष्णु के साथ उनके विवाह के रूप में भी मनाते हैं।
दिवाली से जुड़ी हर पूजा महत्वपूर्ण है, जिसके पीछे एक अलग कहानी है। कुल मिलाकर, यह दिन बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की और अंधकार पर प्रकाश की आध्यात्मिक जीत का प्रतीक है। दीपावली की रोशनी सभी बुरे विचारों और इच्छाओं को मिटाकर आने वाले वर्ष के लिए सद्भावना लेकर आती है।
दिवाली 2023 का शुभ मुहूर्त
दिवाली 2023 तिथि: रविवार, 12 नवंबर, 2023
तिथि का समय: अमावस्या तिथि 12 नवंबर, 2023 को दोपहर 02:44 बजे शुरू होती है और यह 13 नवंबर, 2023 को दोपहर 02:56 बजे समाप्त होती है।
दिवाली 2023 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2023: शाम 05:39 बजे से रात 07:35 बजे तक
- पूजा अवधिः 1 घंटा 56 मिनट
- दिवाली 2023 प्रदोष काल: शाम 05:29 बजे से रात 08:08 बजे तक
- दिवाली 2023 वृषभ काल: शाम 05:39 बजे से रात 07:35 बजे तक
अन्य शहरों में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
- 06:09 से 08:09 बजे तक - पुणे
- 05:39 बजे से 07:35 बजे तक - नई दिल्ली
- 05:52 बजे से 07:54 बजे तक - चेन्नई
- 05:48 बजे से 07:44 बजे तक - जयपुर
- 05:52 बजे से 07:53 बजे तक - हैदराबाद
- 05:40 बजे से 07:36 बजे तक - गुड़गांव
- 05:37 बजे से 07:32 बजे तक - चंडीगढ़
- 05:05 बजे से 07:03 बजे तक - कोलकाता
- 06:12 बजे से 08:12 बजे - मुंबई
- 06:03 बजे से 08:05 बजे - बेंगलुरु
- 06:07 बजे से 08:06 बजे - अहमदाबाद
- 05:39 बजे से 07:34 बजे तक - नोएडा
दिवाली 2023 लक्ष्मी पूजा महत्व
दिवाली केवल पांच दिन का दीपोत्सव नही है और न ही इसका मतलब सिर्फ आतिशबाजी, रोशनी और सजावट करना है। यह अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का भी प्रतीक है। यह धर्म, जाति और पंथ के बावजूद सभी लोगों द्वारा एक साथ मिलकर मनाया जाने वाला त्योहार है। कहने की जरूरत नहीं है कि दिवाली के अवसर पर सभी एकजुट होते हैं और पुराने गिले शिकवे मिटाकर एक दूसरे का मुंह मिठा करते है। यह त्योहार खुशियों का है, शुभता का है और सबकी समृद्धि का है।
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि एवं सामग्री
आवश्यक सामग्री:
कलावा, रोली, सिन्दूर, नारियल, अक्षत, लाल कपड़ा, पुष्प, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, कलश, आम का पत्ता, चौकी, हवन की लकड़ी, हवन कुंड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगा जल), फल, मिठाइयाँ, पूजा के दौरान बैठने के लिए आसन, हल्दी, अगरबत्तियां, कुमकुम, इत्र, चिराग, कपास, आरती की थाली, कुशा, रक चंदनाद, श्रीखंड चंदन
पूजा की विधि:
- पूजा शुरू करने से पहले गणेश और लक्ष्मी जी के पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं
- जिस चौकी पर आप पूजा कर रहे हैं उसके चारों कोनों पर एक-एक दीपक जलाएं
- इसके बाद जहां मूर्ति रखनी है वहां कच्चे चावल रखें, फिर गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें
- हालाँकि, दिवाली पर लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती और काली माता की पूजा करने की भी परंपरा है। यदि आपके संस्कृति में दिवाली पर इन भगवानों की पूजा की जाती है, तो उनकी मूर्तियों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं
- ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी होती है। इसलिए देवी लक्ष्मी को भगवान विष्णु के बाईं ओर रखकर पूजा करें
दिवाली पूजा मंत्र
दिवाली पूजा की शुरुआत पवित्र मंत्र से करें:
“ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स लुभाभ्यन्तर: शुचि:॥”
इस मंत्र का जाप करते समय अपने आसन और पूजन सामग्री पर कुशा या पुष्पादि से 3-3 बार जल या गंगाजल छिड़कें। “ऊँ केशवाय नम: ऊँ माधवाय नम: ऊँ नारायणाय नम”, फिर हाथ धो लें।
लक्ष्मी पूजा मंत्र
- आर्थिक लाभ के लिए: ॐ श्रीं महा लक्ष्मीयै नमः
- समग्र प्रचुरता के लिए: ओम ह्रीं श्रीं क्लीं महा लक्ष्मी नमः
- अधिक ख़ुशी के लिए: ओम श्रीं श्रीं-ऐ नमः
- समग्र आध्यात्मिक विकास के लिए: ओम महा देविच विद्महाय; विष्णु पटनीचा दीमाही; थन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्
उपरोक्त मंत्रों का जाप करते समय स्फटिक की माला का प्रयोग करें तथा उपरोक्त मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
दिवाली 2023 पांच दिन का दीपोत्सव
दीपावली का त्यौहार उन मूल्यों और सीखों का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें लोग जीवन भर अपनाते हैं। क्योंकि हिंदू धर्म के लोग प्रत्येक मूल्य और पाठ को एक विशेष दिन पर मनाते हैं, जिससे दिवाली का त्योहार पांच दिवसीय त्योहार बन जाता है। चलिए जानते हैं, इस 5 दिवसीय उत्सव के बारे में
- धनतेरस: धनतेरस इस 5 दिवसीय उत्सव का पहला दिन होता है और इस साल यह 10 नवंबर को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि मानव जाति के लिए आयुर्वेदिक औषधि लेकर समुद्र से उठे थे। इस दिन लोग भगवान धनतेरस और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने परिवार के लिए सौभाग्य और समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन लोग सोने की वस्तुएं या बर्तन भी खरीदते हैं।
- नरक चतुर्दशी: इसे छोटी दिवाली के रूप में भी जाना जाता है और इस साल यह 11 नवंबर को मनाई जाएगी। उत्सव का दूसरा दिन भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर को नष्ट करने की याद में मनाया जाता है। मान्यता है कि राक्षस नरकासुर ने अपनी हार के पश्चात भगवान से क्षमा मांगी और श्री कृष्ण ने उसे क्षमा कर दिया। इसलिए, यह दिन इस विश्वास को बढ़ावा देता है कि बुरे लोग भी सहानुभूति के पात्र होते हैं। इस दिन, लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं, अपने घरों को रोशनी, मिट्टी के दीयों और प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाकर सजाते हैं।
- लक्ष्मी पूजा: दिवाली इस पांच दिवसीय उत्सव का मुख्य आकर्षण होती है। इस दिन सभी लोग परिवार के साथ मिलकर देवी लक्ष्मी, भगवान श्री गणेश और माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी इस दिन समुद्र से प्रकट हुईं और दुनिया में धन और समृद्धि लेकर आईं थी। जिसके चलते लोगों ने उनका सम्मान एवं प्रशंसा की और यह प्रथा आज भी जारी है। इन मान्यताओं को जारी रखते हुए लोग आज भी अपनी परिवारिक सुख समृद्धि के लिए घरों में मोमबत्तियाँ और दीये जलाते हैं और एक दूसरे का मुंह मिट्ठा करवाते हैं।
- गोवर्धन पूजा: इसे अन्नकूट और बलिप्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है, यह कार्तिक महीने का पहला दिन है, जो विक्रम कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत का प्रतीक होता है। इस वर्ष यह उत्सव 13 नवंबर को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान कृष्ण की देवताओं के राजा इंद्र पर जीत का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि लोगों को परेशान करने के लिए जब इंद्र ने मूसलाधार बारिश की, तो भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर लोगों की मदद की थी। इसलिए इस दिन को जीत के एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन रिश्तेदारों से मिलते हैं और उन्हें मिठाई एवं तोहफे देते हैं।
- भाई दूज: दिवाली 2023 उत्सव का आखिरी दिन, भाई दूज का त्योहार है। यह त्योहार बहनों और भाइयों के बीच प्यार, स्नेह और उनके अटूट बंधन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की भलाई और सफलता के लिए प्रार्थना करती है और उनकी कलाई पर मोली बांध कर माथें पर तिलक लगाती हैं। साथ ही भाई अपनी विवाहित बहनों से भी मिलने जाते हैं, जो उन्हें तोहफे उपहार स्वरूप देते हैं।
आशा करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए लाभदायक साबित हो। आपको बता दें कि पूजा के मूहर्त का समय आपके राज्य या शहर के मुताबिक अलग हो सकता है। सटिक जानकारी के लिए आप चाहें, तो आप पास किसी पंडित से संपर्क कर सकते हैं। हमारी मंगल कामना है कि दिवाली का यह त्योहार आपके और आपके परिवार के लिए शुभता और समृद्धि लाएं और माँ लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे।